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Monday, October 20, 2008

सपने सपने होते हैं

हर इंसान अपने आँखों में एक सपने लिए घर से निकल पड़ता है। सोचता है मंजिल आज नहीं तो कल जरूर मिलेगी। जिनके सपनो में ताक़त होती है और जिन्हें उन्हें पूरा करने की आमदा होती है वो तो जीत हासिल कर लेते हैं लेकिन उनका क्या जिन्हें अपने सपने पूरे करने की हिम्मत तो है पर जहाँ जरूरत आर्थिक हो जाती वह वो क्या करें ?
दरअसल आज का हर नौजवान अपने पैरों पर खड़ा होना चाहता है, कुछ करना चाहता है अपने और अपने परिवार के लिए लेकिन इस आर्थिक मंदी की दौर में किसी भी प्राइवेट संस्था में पढ़ाई लिखाई के लिए मोटे रकम की मांग की जाती है और उसका नतीजा हमारे और आपके सामने होता है कि जब उस संस्था से बच्चे निकलते है तो उन्हें नौकरी के नाम पर एक कागज़ का टुकडा पकड़ा दिया जाता है, जिसे लेकर वो मारे मारे फिरते रहते हैं ।
कहने से तात्पर्य ये है की सपने तो हर युवा वर्ग देखते है लेकिन सबकी इतनी कूबत नही होती की वो पैसो के बल पर इसे पूरा कर सके ।
ये मेरी ब्लॉग की सिर्फ़ शुरुआत है। कोशिश बहुत कुछ लिखने और आपको हर ख़बर से बाकायदा रूबरू करने का है जो जारी रहेगी ।

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bahut bahut dhanyawaad...swagat hai aapka comment karne ke liye