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Sunday, April 25, 2010

मैच पर महाभारत

 द्रौपदी के चीरहरण पर कौरवो और पांडवो के बीच महाभारत हुआ, सुनंदा पुष्कर को IPL के मैदान में लाने पर भी महाभारत हुआ पर ये कलयुग की महाभारत बड़ी अजीबो गरीब रही. यहाँ युध्ह सिर्फ कौरवो और पांडवो के बीच नहीं हुआ. बल्कि युध्ह में सभी कूद पड़े जिम्की भी छवि में पैसे की बू आ रही थी.
दरअसल इस युध्ह की शुरुआत बड़े बेदम तरीके से हुई. कलयुग में इन्टरनेट का ज़माना है,  सो लड़ाई भी इन्टरनेट से शुरू हुई. इन्टरनेट के जरिये लिखने और बोलने की छूट है. ट्विट्टर जैसे प्रचलित SITES भावनायो का क़द्र किया करते हैं. आप लिखेंगे और ये लिखने के लिए पेन और कागज़ दोनों मुहैया करैयेंगे. ये भी दोनों बिलकुल हितेच.  लिखते जाइये नन्ही पेन के इंक के कह्तं होने का डर न ही कागज़ ख़त्म होने का डर.
बस शुरू हो गयी लड़ाई. सबसे पहले IPL के कमिश्नर ने अपने दिल की आरज़ू को ट्विट्टर पर लिखा. नाम लिया केंद्रीय मंत्री शशि  थरूर की महिला मित्र सुनंदा पुष्कर का. और शुरू कर दिया बखेड़ा. शशि थरूर जो की भारतीय राजनीती में अभी नए नए आये हैं, को मालूम न था कि यहाँ आरोप प्रत्यारोप कि राजनीति होती हैं न कि सफाई देने कि राजनीति. बेचारे थरूर चल पड़े सफाई देने. ट्विट्टर मास्टर थरूर ने सफाई दी कि निजी रिश्तों को किसी भी विवाद में शामिल करना उचित नहीं.  मोदी भी कहा मानने वालो में से थे. दुश्शासन की तरह सुनंदा कि शादी खीचने में लगे रहे. थरूर ने अपनी भूमिका कृष्ण के समान रखी. और फिर दे दिया इस्तीफा. कहा अब सुनंदा का नाम न जोड़ना.  सुनंदा ने जवाब में कहा कि थरूर अछे दोस्त हैं और मैं उनकी प्रवक्ता नहीं. सही बात हैं भाई! आप किसी महिला मित्र को प्रवक्ता बनायेंगे तो नाराज़गी जाहिर है. लेकिन ललित भाई भी काले से लाल पड़ गए. सुनंदा का नाम तो उनकी जुबान पे चिपक गया था. हर वक़्त उन्ही का चरण करते पाए जाने लगे. अबकी बार नाम लिया तो कहा कि IPL में सुनंदा का पैसा लगा है.  पैसो का जरिया थरूर को बता डाला. थरूर पर मोदी ने इलज़ाम लगाया. कहा कि थरूर ने पैसो कि लेन देन के बारे में बताने से मन किया था. थरूर ने मोबाइल का इस्तेमाल किया था. फोन पर खा कि पैसो के बारे में न बताना. अब थरूर भी गरमा गए थे. कहा कि ललित झूठा है. सेठ होकर झूठ बोल रहा है. बकवास बातें कर रहा है. मैंने उसे फ़ोन किया था पर काम कुछ और था. अरे! अब दुसरे विभाग के नेता जी  को अब IPL के मालिक से क्या मतलब था जो फ़ोन कर डाला. पर उन्होंने भी अपना मुह खोला. कहा फ़ोन किया था पर कोच्ची फ्रेंचैजी  के लिए. थरूर पूरी तरह गरमा गए थे. कहा ललित फ्रेंचैजी देने के मूड में नहीं थे. उन्हें अह्मेदाबाद से प्यार था. ललित मोदी को नरेन्द्र मोदी में भाईचारा दिख रहा था. दिखना भी चाहिए मोदीवादी प्रथा जो चलानी थी. पर बात बनी नहीं और मोदी बिफर पड़े.
येतो कलयुग महाभारत का वाक्युध्ह था. अभी बहुत कुछ होना बाकि था. शुरुआत संसद में विपक्ष के हंगामे से हुआ. कहा IPL लुटेरो का अड्डा है. थरूर से इस्तीफा मांगो. थरूर बेचारे लाख मिमयाते रहे. पर कुछ न हुआ. सफाई भी देना चाहते थे पर सदन में विपक्ष के हो हल्ला के बीच आवाज़ दब गयी. बैठकों का दौर चलने लगा. कभी प्रणब बाबु सोनिया से मिलते, कभी प्रधानमंत्री से. कभी थरूर सोनिया, प्रणब से मिलते, कभी प्रधानमंत्री से. सूत्रों कि खबरे भी भारी मात्रा में आने लगी. आखिरकार बैठकों के दौर के बाद फैसला हुआ. थरूर के इस्तीफे का फैसला. थरूर ने कहा अपनी सरकार को कीच कीच से दूर रखने के लिए इस्तीफ़ा दे रहा हूँ. चलो भाई इस मैच में पहला विकेट तो गिर गया. लेकिन पारी कफी देर तक बिना रन के जरी रही.
अब ब्रेक के बाद बल्लेबाज़ी करने उतरी सुनंदा पुष्कर. पहले कहा कोई पैसा नहीं लगाया. दूसरी बार कहा कि इतना पैसा है कि मिल बाट कर कुछ खरीदने कि जरूरत नहीं. सही बाट है कि एक BEAUTISIYAN के पास कहाँ से इतना पैसा आया,  ये तो भगवन जाने. थरूर जरूर जानते होंगे., महिला मित्र जो हैं उनकी. बाद में माना पैसा लगाया है पर किसी के कहने पर नहीं अपनी मर्ज़ी से. कोच्ची कि टीम में सुनंदा ने ७० करोड़ लगाये थे. पर गौर कीजियेगा किसी के कहने पर नहीं बल्कि अपनी मर्ज़ी से. फिर कहा कि वो तो मेरे रौन्देवु के जरिये शेयर बनते हैं. ज्यादा कीच कीच होने लगी. कहा कि जब मेरे मित्र ही नहीं रहे तो मैं रह कर क्या करुँगी. ले लिया अपना ७० करोड़. पर न ही टीम को फर्क पड़ा न ही IPL को. ललित मोदी ने पूरी साडी खींच ली थी. थोड़े बहुत चीरकूट बचे थे जिससे सुनंदा कि लाज बची पड़ी थी. ललित कि नजाए उस चिरकूट पर भी थी. सुनंदा ने सोचा, यहाँ से बची कुची इज्ज्ज़त बचाकर निकल जाऊ. वरना ये ललित कि नज़र ठीक नहीं लग रही है. सो सुनंदा ने अपने को IPL और कोच्ची से अलग कर लिया. थरूर संग आराम से अब्ब पार्टियों में नज़र आने लगी. फ्री हो गए थे दोनों अपने कर्मो और जिम्मेदारियों से. अच्छा है लगे रहो.
सोचा अब्ब तो विवाद कह्त्मा हो जायेगा पर भैया ललित मदी जी को बेचैनी हो गयी थी. दर असल दो विकेट लेकर मोदी भाई साहब शेर बनने लगे थे. पर मालूम न था कि संसद से एक विकेट गिरने पर सरकार कितनी नाराज़ है. अब मामला सरकार का था. सबसे ताकतवार का. सो सरकार ने पारी संभालनी शुरू की. दूसरी तरफ खड़े थे शेर बने फिर रहे ललित भैया. उनकी हर गेंद का जवाब देने को सरकार तैयार खड़ी थी. पहला गेंद ललित ने फेंका. सरकार ने जवाब में इनकम  टैक्स का छापा मरवाया. दूसरा गेंद ललित ने फेंका जवाब में सभी फ्रेचैजियों पर छापा पड़ने लगा. तीसरा गेंद भी ललित ने फेंका. अबकी बार गेंद बौन्दरी के पार चली गयी. दरअसल मोदी पर इनकम टैक्स और प्रवर्तन निदेशालय का छापा एक साथ पड़ने लगा. ललित मोदी को घोटालो के सरदार के रूप में पेश किया. मोदी ने मिडिया में जवाब दिया कि मेरा कुछ नहीं होने वाला, अभी मेरे पाले में तीन गेंद पड़े हैं देखते जाइये. मान गए कि बन्दे में भी दम था. इतनी पीटाई खाने के बाद भी WWF के फाइटर  कि तरह उठ  खड़ा होता था. कोई बाट नहीं सरकार भी UNDERTAKER कि तरह नंबर १ बनने को तैयार खड़ी थी. सरकार ने अबकी बार GUGLI KHELI. BCCI को अपने PAALE में ले LIA. BCCI  के सभी ADHIKAARI मोदी के KHILAAF खड़े हो गए. SARAD PAWAR ने कहा मोदी इस्तीफा दे दो. मोदी ने कहा नहीं DUNGA. BCCI ADHYACHHA SHASHANK MANOHAR ने कहा कि मोदी SANTI से इस्तीफा दे दो. मोदी का जवाब कि किसी भी तरह नहीं DUNGA. मोदी ने DHAMKI भी दी कि ब्च्ची  क्या, कोई भी MUJHSE इस्तीफा नहीं ले SAKTA. अब कि बार BCCI के ADHIKAARI गरमा गए, कहा अब तो मोदी को इस्तीफा देना ही PADEGA,  CHAHE KAISE भी इस्तीफा दे. युध्ह के मैदान में BCCI और ललित मोदी मैदान पर खड़े थे.